5 Essential Elements For Shodashi

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एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः

अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।

आर्त-त्राण-परायणैररि-कुल-प्रध्वंसिभिः संवृतं

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a way of community and spiritual solidarity amid devotees. Through these occasions, the collective Strength and devotion are palpable, as members interact in several types of worship and celebration.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

Goddess Shodashi has a third eye over the forehead. She's clad in purple costume and richly bejeweled. She sits on a lotus seat laid with a golden throne. She is shown with 4 arms during which she holds 5 arrows of bouquets, a noose, a goad and sugarcane like a bow.

They have been also blessings to realize materialistic blessings from distinctive Gods and Goddesses. For his consort Goddess, he enlightened individuals with the Shreechakra and so that you can activate it, just one has got to chant the Shodashakshari Mantra, that is often called the Shodashi mantra. It is claimed for being equivalent to every one of the 64 Chakras set together, along with their Mantras.

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

The noose represents attachment, the goad represents repulsion, the sugarcane bow represents the intellect as well as the arrows tend to be the 5 feeling objects.

The philosophical Proportions of Tripura Sundari extend outside of her physical characteristics. She represents the transformative electric power of magnificence, which could guide the devotee through the darkness of ignorance to The sunshine of data and enlightenment.

कर्तुं देवि ! जगद्-विलास-विधिना सृष्टेन ते मायया

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो click here जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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